चारबाग रेलवे स्टेशन पार्किंग से वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार तिवारी की बाइक चोरी, पुलिस की लापरवाही उजागर
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चारबाग रेलवे स्टेशन पार्किंग से वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार तिवारी की बाइक चोरी, पुलिस की लापरवाही उजागर
लखनऊ, 2 अक्टूबर।
राजधानी लखनऊ में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण चारबाग रेलवे स्टेशन पर घटित एक नई घटना है। यहां से एक अक्टूबर 2025 को राज्य मुख्यालय के मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार संतोष तिवारी की हीरो होंडा स्प्लेंडर (नंबर HR26S 9715) बाइक पार्किंग स्टैंड से चोरी हो गई।
इस घटना ने न सिर्फ पार्किंग स्थल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है, बल्कि पुलिस-प्रशासन की लापरवाही भी जगजाहिर कर दी है। पत्रकारों और स्थानीय नागरिकों में इस मामले को लेकर गहरा रोष व्याप्त है।
पार्किंग से गायब हुई बाइक
श्री तिवारी ने अपनी बाइक चारबाग रेलवे स्टेशन के पार्किंग स्टैंड पर खड़ी की थी। कुछ घंटों बाद जब वे लौटे, तो वाहन गायब मिला। काफी खोजबीन और पूछताछ के बावजूद बाइक का कोई पता नहीं चला।
पीड़ित ने तुरंत पुलिस से संपर्क साधा, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। जीआरपी पुलिस ने मामला हुसैनगंज थाने का बताकर टाल दिया, वहीं हुसैनगंज थाने ने इसे जीआरपी का मामला कहकर पल्ला झाड़ लिया। नतीजा यह हुआ कि पीड़ित पत्रकार को न्याय और मदद के बजाय केवल इधर-उधर भटकना पड़ा।
आए दिन हो रही चोरी, जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं
चारबाग रेलवे स्टेशन से आए दिन दोपहिया वाहन चोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं। प्रतिदिन हजारों लोग यहां अपने वाहन पार्क करते हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजाम नाम मात्र के हैं। पार्किंग में तैनात सुरक्षा गार्ड और कर्मचारियों की भूमिका केवल टिकट काटने तक सीमित है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पार्किंग में सीसीटीवी कैमरे नाकाफी हैं और जो लगे भी हैं, वे अक्सर खराब रहते हैं। इसके अलावा, पुलिस गश्त भी नाम मात्र की होती है। यही कारण है कि बाइक चोरी जैसी घटनाएं आसानी से हो रही हैं और चोर बेखौफ होकर फरार हो जाते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार भी बने शिकार, आम जनता का क्या होगा?
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार संतोष तिवारी लंबे समय से मीडिया जगत में सक्रिय हैं। उनकी पहचान एक निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार के रूप में है। ऐसे में जब उनकी बाइक चोरी हो सकती है और पुलिस उनकी मदद करने से पीछे हट जाए, तो आम जनता की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पीड़ित ने खुद कहा कि – “अगर एक मान्यता प्राप्त पत्रकार की मदद पुलिस नहीं कर पा रही, तो आम नागरिकों की क्या स्थिति होगी। चारबाग स्टेशन जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर इतनी बड़ी चूक बेहद गंभीर है।”
पत्रकारों और नागरिकों में आक्रोश
इस घटना के बाद पत्रकार समाज में भारी आक्रोश है। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इस मामले की निंदा करते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि पुलिस विभाग जिम्मेदारी टालने की बजाय चोरी की घटनाओं को गंभीरता से ले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।
स्थानीय नागरिकों ने भी कहा कि चारबाग रेलवे स्टेशन पर हर दिन हजारों वाहन खड़े रहते हैं। लेकिन जब वहां पार्किंग की सुरक्षा ही पुख्ता नहीं है, तो लोगों का भरोसा कैसे कायम रहेगा।
पुलिस और रेलवे प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना ने जीआरपी और स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस विभागों के बीच जिम्मेदारी टालने का खेल अब आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन चुका है।
रेलवे प्रशासन और पार्किंग संचालकों पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वे केवल पार्किंग शुल्क लेने तक सीमित क्यों रहते हैं? क्या यात्रियों के वाहनों की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी नहीं है?
जनता की मांग – सख्त कदम उठाए जाएं
स्थानीय लोगों और पत्रकारों ने एक स्वर में मांग की है कि
चारबाग स्टेशन पार्किंग की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए।
सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए और उन्हें हमेशा कार्यशील रखा जाए।
पार्किंग स्थल पर नियमित पुलिस गश्त हो।
जीआरपी और स्थानीय पुलिस के बीच समन्वय स्थापित हो ताकि पीड़ित को न्याय के लिए भटकना न पड़े।
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि लखनऊ जैसे बड़े शहर में भी पार्किंग स्थल सुरक्षित नहीं हैं। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आम नागरिकों का विश्वास पुलिस और प्रशासन से पूरी तरह उठ जाएगा।