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November 19, 2025

Suraj Kesari

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ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस

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अतुल जैन राष्ट्रीय अध्यक्ष

ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस

(नई दिल्ली से पत्रकार ऊषा माहना की कलम से)

भारत ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश ने यह संदेश दुनिया को स्पष्ट रूप से दे दिया है कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं बल्कि इसका निर्माता और नेतृत्वकर्ता भी बनेगा। Bharat 6G Vision और Bharat 6G Alliance के माध्यम से यह साबित हुआ है कि भारत अगली पीढ़ी की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसी तरह, इसरो ने सीमित संसाधनों के बावजूद चंद्रयान-3 और गगनयान जैसे ऐतिहासिक मिशनों को सफलता दिलाकर न केवल देश का मान बढ़ाया बल्कि दुनिया को यह विश्वास भी दिलाया कि भारत प्रतिभा और नवाचार के बल पर किसी भी बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकता है।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा व्यवस्था को नई सोच और नई दिशा दी है। इसमें कौशल विकास, नवाचार और बहु-विषयक दृष्टिकोण पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही, टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएँ युवाओं को नए विचारों और प्रयोगों के लिए प्रेरित कर रही हैं। यह परिवर्तन भारत को एक ऐसा आधार दे रहा है जिससे आने वाले वर्षों में देश की युवा शक्ति विश्वस्तरीय उपलब्धियाँ हासिल कर सके।

 

फिर भी, यह स्वीकार करना होगा कि भारत को अगर वास्तव में वैश्विक नवाचार केंद्र बनना है तो शिक्षा और अनुसंधान में निवेश को और बढ़ाना ही होगा। वर्तमान में शिक्षा पर लगभग 3 प्रतिशत जीडीपी खर्च किया जा रहा है, जबकि इसे बढ़ाकर 6 प्रतिशत तक ले जाना अनिवार्य है। इसी तरह अनुसंधान और विकास पर होने वाला खर्च 0.6 प्रतिशत जीडीपी से बढ़ाकर कम से कम 2 प्रतिशत किया जाना चाहिए। केवल सरकार ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र को भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। जिस तरह कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के माध्यम से उद्योग जगत ने सामाजिक क्षेत्रों में योगदान दिया है, उसी तरह उन्हें नवाचार और अनुसंधान में भी ठोस जिम्मेदारी लेनी होगी।

 

सरकार ने सही दिशा में कदम बढ़ाए हैं लेकिन अब उद्योग, विश्वविद्यालय और समाज को मिलकर इस यात्रा को आगे ले जाना होगा। उद्योग और अकादमिक साझेदारी से मौलिक पेटेंट और विश्वस्तरीय उत्पाद निकल सकते हैं। देश के आईआईटी, विश्वविद्यालय और डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं को स्टार्टअप्स से जोड़ा जाना चाहिए ताकि विचार और प्रयोग सीधे तौर पर उपयोगी उत्पादों में बदल सकें। साथ ही, युवा प्रतिभाओं को भारत में ही शोध के लिए आकर्षक अवसर और सम्मान मिलना चाहिए ताकि उन्हें विदेशों की ओर पलायन न करना पड़े।

 

आज भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेस, फार्मा और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूरी दुनिया की नज़रों में है। यदि शिक्षा और अनुसंधान को और बल दिया जाए, तो भारत केवल एक विकासशील देश नहीं रहेगा, बल्कि विश्वगुरु और वैश्विक नवाचार नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित होगा। भारत ने इस दिशा में कदम तो बढ़ा दिए हैं, अब ज़रूरत है गति और निरंतरता की, ताकि यह यात्रा हमें उस मुकाम तक ले जाए जहाँ भारत को एक महाशक्ति के रूप में पूरी दुनिया सम्मान के साथ देखे।

 

“शिक्षा और अनुसंधान ही वह दीपक है जो भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाएगा। हमें केवल कदम ही नहीं बढ़ाने, बल्कि निरंतर गति और समर्पण से इस यात्रा को विश्वगुरु बनने तक ले जाना है।”

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