प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी से लोगों ने मांगा समस्याओं के निस्तारण में सहयोग
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मुजफ्फरनगर। समस्याओं का सामाधान नहीं होने से परेशान लोगों को जनप्रतिनिधियों और बड़े अफसरों के पास जाते हुए अक्सर देखा जाता है, लेकिन पिछले दिनों से कई ऐसे मामले सामने आये, जिनमें लोगों का विश्वास जनप्रतिनिधियों और अफसरों से टूट रहा है। ऐसे में लोगों ने अपनी समस्याओं के निदान के लिए प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी के साथ आने का काम किया है। पहले प्रेमपुरी के बुजुर्ग डॉ. ओमपाल सिंह वर्मा की समस्या को उन्होंने मजबूती से उठाया और अब गरीब किसानों तथा शहरवासियों के द्वारा उनको समस्या के निस्तारण के लिए साथ आकर सहयोग करने की मांग की गई है।
सोमवार को प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी से काली नदी किसान समिति और भगवान श्री महर्षि कश्यप चौक समिति के पदाधिकारियों तथा न्याजूपुरा के ग्रामीणों ने शिव चौक पर मुलाकात की और अपनी समस्याओं को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों और अफसरों के पास जा जाकर वो थक चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं कराया जा रहा है। इस पर प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने उनको भरोसा दिया कि जनहितों को लेकर वो किसी भी संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे और जनता की समस्याओं का निदान करने के लिए आंदोलन करने का काम किया जायेगा।
प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर में कई प्रकार की समस्या चली आ रही है। इस बार काली नदी किसान समिति के लोगों ने आज मुलाकात कर गरीब किसानों और लोगों की समस्याओं के बारे में जानकारी दी। काली नदी के पार काफी लोगों के खेत-खलिहान हैं। वहां पर कोई भी पुल नहीं होने के कारण किसानों को खेती के लिए जाने में दिक्कत होती है। महिलाएं और पुरूष काली नदी से होकर ही खेतों तक पहुंचने को विवश हैं। वहां पर घाट बनाने के नाम पर मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण द्वारा बड़ी पेडियां बनाकर आवागमन का मार्ग भी बाधित कर दिया है। इसके साथ ही भगवान श्री महषि कश्यप चौक समिति के लोगों ने भी मिलकर मौहलला बंजारान और कहारान सहित पूरे शहर में आवारा कुत्तों और खूंखार बंदरों के आतंक की समस्या को सामने रखते हुए उसके लिए संघर्ष कर निदान कराने में सहयोग मांगा गया है। हमने प्रेमपुरी के लोगों की इसी समस्या को उठाया है, पालिका प्रशासन ने आठ दिनों का समय लिया है। यदि पालिका कुत्तों और बंदरों के आतंक से लोगों का बचाव नहीं करा पाती है तो हम सभी लोगों को साथ लेकर आंदोलन करने को विवश होंगे। इस दौरान मुख्य रूप से राधेश्याम कश्यप, नवीन कश्यप, हंसराज कश्यप, रिजवान राजपूत और न्याजूपुरा के ग्रामीण भी मौजूद रहे।